प्रवासी लेखक >> जागिये आप देवता हैं जागिये आप देवता हैंचाचरा दम्पति
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जब आप देवता बन कर जी सकते हैं तो फिर साधारण मनुष्य ही क्यों बने रहें...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
मनुष्य
जितना प्रतापी देवता
न कभी था, न कभी होगा।
न कभी था, न कभी होगा।
स्वामी विवेकानन्द
जब आप
देवता बन कर जी सकते हैं
तो फिर साधारण मनुष्य ही क्यों बने रहें ?
तो फिर साधारण मनुष्य ही क्यों बने रहें ?
क्या सचमुच
में देवता होते हैं या फिर यह मानव की कल्पना मात्र है ?
वास्तविकता चाहे जो भी हो, पर एक बात निश्चित है—देवता सुखी है
और
देवत्व सुख है। देवता बन कर जीने में हमारी उच्चतम सफलता है।
हर व्यक्ति देवता बन सकता है। देवत्व सुख-सृजन की प्रक्रिया है जिसे सीखा जा सकता है, अपनाया जा सकता है। लेखक-दम्पति ने देवता बनने की इस प्रक्रिया को क्रमबद्ध ढंग से, सरल शब्दों में समझाया है—अपनी इस पुस्तक में। पहले आप इसे पढ़ने का आनन्द लीजिये, फिर देवता बन कर जीने का।
हर व्यक्ति देवता बन सकता है। देवत्व सुख-सृजन की प्रक्रिया है जिसे सीखा जा सकता है, अपनाया जा सकता है। लेखक-दम्पति ने देवता बनने की इस प्रक्रिया को क्रमबद्ध ढंग से, सरल शब्दों में समझाया है—अपनी इस पुस्तक में। पहले आप इसे पढ़ने का आनन्द लीजिये, फिर देवता बन कर जीने का।
सुमन घई
आभार
यह पुस्तक तो
छोटी है, पर हमारे मित्रों और परिवार-जनों द्वारा हमें जो
सहायता मिली है, वह बहुत बड़ी है। हमें सहायता देने वालों में सब से पहला
नाम है—मिसिसागा, केनेडा के जाने-माने कवि और लेखक श्री
सुरेन्द्र
कुमार पाठक का। पाठक साहब ने कई बार पुस्तक की पाण्डुलिपियों को पढ़ा,
समीक्षा की, और अपने सुझावों से हमें लाभान्वित किया। हम दोनों पाठक साहब
के अत्यन्त आभारी हैं।
जिन अन्य देवी-देवताओं के प्रति हम अपना आभार-प्रदर्शन करना चाहते हैं, उनके नाम इस प्रकार हैं
कैम्ब्रिज, केनेडा से : श्री अशोक गौतम
मिसिसागा, केनेडा से : श्रीमती नीलम राजौरा
टोरन्टो, केनेडा से : श्रीमती पुष्पा सूरी, श्री हर्ष साहनी एवं श्री सतीश छाबड़ा
नई दिल्ली से : श्री महेन्द्र प्रताप गुलाटी एवं श्रीमती कान्ता गुलाटी
भोपाल, मध्य प्रदेश से : श्री संजय परिहार, श्री इन्द्रलाल भाटिया, श्रीमती सुदेश भाटिया एवं श्रीमती किरण चाचरा
वेद, उपनिषद आदि ग्रंथों के लिये की बार हम किचनर के राम-धाम मन्दिर जाया करते थे। इस सन्दर्भ में मन्दिर की माननीय दीदी ज्योति जी का सहयोग सराहनीय है। आवश्यकता पड़ने पर वाटरलू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डा. राजेन्द्र दुबे तथा श्रीमती शांति दुबे भी बिना किसी संकोच के, अपनी कई पुस्तकें हमें दिया करते थे। इसी प्रकार सिक्ख धर्म की उपयुक्त जानकारी के लिये हमें व्हिटबी निवासी सरदार सरबंस सिंह रोडा का सहयोग मिलता रहा। हम इन सबके प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं।
जिन अन्य देवी-देवताओं के प्रति हम अपना आभार-प्रदर्शन करना चाहते हैं, उनके नाम इस प्रकार हैं
कैम्ब्रिज, केनेडा से : श्री अशोक गौतम
मिसिसागा, केनेडा से : श्रीमती नीलम राजौरा
टोरन्टो, केनेडा से : श्रीमती पुष्पा सूरी, श्री हर्ष साहनी एवं श्री सतीश छाबड़ा
नई दिल्ली से : श्री महेन्द्र प्रताप गुलाटी एवं श्रीमती कान्ता गुलाटी
भोपाल, मध्य प्रदेश से : श्री संजय परिहार, श्री इन्द्रलाल भाटिया, श्रीमती सुदेश भाटिया एवं श्रीमती किरण चाचरा
वेद, उपनिषद आदि ग्रंथों के लिये की बार हम किचनर के राम-धाम मन्दिर जाया करते थे। इस सन्दर्भ में मन्दिर की माननीय दीदी ज्योति जी का सहयोग सराहनीय है। आवश्यकता पड़ने पर वाटरलू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डा. राजेन्द्र दुबे तथा श्रीमती शांति दुबे भी बिना किसी संकोच के, अपनी कई पुस्तकें हमें दिया करते थे। इसी प्रकार सिक्ख धर्म की उपयुक्त जानकारी के लिये हमें व्हिटबी निवासी सरदार सरबंस सिंह रोडा का सहयोग मिलता रहा। हम इन सबके प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं।
अनुक्रम
देवता की विशेषता
1-अनुसरण
2-शरीर
3-संयुक्ति
4-कर्मशीलता
5-सुरापान
6-स्वर्ग
7-दान
8-कृतज्ञता
9-त्याग
2-शरीर
3-संयुक्ति
4-कर्मशीलता
5-सुरापान
6-स्वर्ग
7-दान
8-कृतज्ञता
9-त्याग
सामर्थ्य और संयम
10-जीवन-देवता
11-संयम
12 इन्द्रिय-शक्ति
13-समय-शक्ति
14-सम्पन्नता
11-संयम
12 इन्द्रिय-शक्ति
13-समय-शक्ति
14-सम्पन्नता
वेदान्त और जागरण
15-शिष्यत्त्व और जागृति
16-वेदान्त
17-अद्वैतवाद
18-विश्वास
19-ब्रह्मज्ञान
20-प्रेम
21-रूपांतरण
22-अन्तरात्मा
23-तत्त्व-बोध
16-वेदान्त
17-अद्वैतवाद
18-विश्वास
19-ब्रह्मज्ञान
20-प्रेम
21-रूपांतरण
22-अन्तरात्मा
23-तत्त्व-बोध
उपसंहार
24-व्यवहारिक सूत्र
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